माथा टेक दिया जिसने संसद पर वह आम नहीं बहुत खास है
रचयिता :- नेहिल त्रिपाठी
उम्र :- 15 वर्ष ,कक्षा 10 वीं, कोठी बाजार बैतूल
हाशिए पर बैठा कबूतर, सोच रहा था
चुनाव की गर्मी से ह्रदय को झकझोर रहा था
खिलेगा कमल का फूल, मिलेगा हाथ को साथ
यही असमंजस में थे, ये कबूतर महाराज
करोड़ो लोगों का मत, किसकी सरकार बनवाऐगा
प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे, कौन देश की जयकार करवाएगा
बेरोजगारी का बादल, न जाने जब हटेंगे
अमीरों के पांव तले, न जाने और कितने गरीब मरेंगे
सुशासन, अर्थव्यवस्था, आज की जरूरते हैं
कोयले की कालिख में पुते हाथ, यह सब नेताओं की करतूते हैं।
साठ वर्ष के कुशासन के बाद अब भारत आजाद होगा
महंगाई की बेडिय़ों में जकड़ा , रामराज्य अब स्थापित होगा।
नरेन्द्र मोदी नाम का बालक, आज प्रधान मंत्री बन गया
छप्पन इंच का सीना लिए, संसद पहुंच गया
इस सीने के पीछे छिपा, भावों का अंबार है
कृपा शब्द से विचलित हुआ, भारत मां का अनोखा लाल है।
दहल गया पाक जिससे, दाऊद ने बदला आशियाना है।
माथा टेक दिया जिसने संसद पर, वह आम नहीं बहुत खास है
बारह वर्षो से बैठा जो , गुजरात के तख्त पर
मनवा लिया लोहा जिसने , अपने हर तर्क पर
अपने दम पर जिसने , 272 का आंकड़ा पार किया
गुजरात मॉडल को आज , सबने स्वीकार किया
रूह में बसा, भारत मां के प्रति सम्मान है
हर एक जज्बे में बहता खून नहीं , हिन्दुस्तान का मान है
अब खत्म हो जाएगा भ्रष्टाचार
क्योंकि अब आ गई मोदी सरकार