समाज को प्रगतिशील बनाना कबीर का मुख्य लक्ष्य :डोंगरे
बैतूल । कबीर ने मध्यकाल में पाखंड, अंधविश्वास, कर्मकांड, ढोंग, मूर्ति पूजा, जंतर मंतर,तीर्थ, वृत एवं दिखावा आदि की आलोचना करते हुए समाज को जाग्रत एवं प्रगतिशील बनाना उनका मुख्य लक्ष्य था। तीर्थ के विषय में कबीर ने कहा है कि न्हाये धोये क्या भया, जो मन मैल ना जाए, मीन सदा जल में रहे धोये बास ना जाए। उक्त उद्गार सदगुरू कबीर समिति जिला शाखा बैतूल के तत्वाधान में सदगुरू कबीर आश्रम कोठीबाजार बैतूल में कबीर जयंती के अवसर पर समिति के संयोजक डॉ सुखदेव डोंगरे ने व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारंभ कबीर झंडा पूजन से किया गया इसके पश्चात सात्विक यज्ञ चौका आरती, अतिथियों का उद्बोधन, प्रतिभावान छात्रों का सम्मान, बजे अमिन माता महिला मंडल द्वारा भजन एवं प्रसादी वितरण किया गया। कार्यक्रम में रामजी चढोकार द्वारा कबीर आश्रम निर्माण हेतु भूमि दान करने के लिए उनका विशेष सम्मान किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि दीवान खेमदास साहेब मुक्तामणी आश्रम घुबेरमेठ महाराष्ट्र ने कबीर के वैराग्य को समझाते हुए कहा कि पानी से पैदा नहीं श्वासा नहीं शरीर, अन्न अहार करता नहीं ताका नाम कबीर एवं जाति संप्रदाय को समाप्त करने वाले कबीर की वाणी जीव मुक्तावन कारणे, अविगत धरा शरीर, हिन्दु मुस्लिम के बीच में मेरा नाम कबीर को बताया। इसके अलावा शशिकांत मालवीय,जीआर धोटे, बालकदास जावलकर जबलपुर, पीआर धोटे, तुलाराम पंडोले ने भी उपस्थितजनों को कबीर वाणी के संदर्भ में बताया। इस दौरान सतनाम झन्कार भजन मंडल द्वारा कबीर वाणी की मनमोहक प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम का संचालन जसवंत बचले, कार्यक्रम व्यवस्था नागोराव डोंगरे, महादेव भूमरकर, भद्दु पाटिल, मणीराम धोटे ने एवं आभार सीताराम मालवीय ने व्यक्त किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से लता पाटील, उर्मिला धोटे, मीरा धोटे, जसवंत चौकीकर, संध्या नागले, दीपा मालवीय, कमला मालवीय, लक्ष्मी गुजरे, फूला झरबडे, डॉ मनोज वरवड़े, संतोष राव भूमरकर उपस्थित थे।