बैतूल । गुरू पूर्णिमा पर्व तपश्री ज्ञान मंदिर शाला प्रताप वार्ड टिकारी में बच्चों ने गुरूपूर्णिमा पर्व बड़े धूमधाम से मनाया। कार्यक्रम का शुभारंभ पट्टी पूजन के साथ किया गया।
इस अवसर पर प्राचार्य दीप मालवीय गुरू शब्द का अर्थ बतलाते हुए कहा कि शास्त्रों में गु का अर्थ बताया गया है- अंधकार या मूल अज्ञान और रु का का अर्थ किया गया है- उसका निरोधक। गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजन-शलाका से निवारण कर देता है। अर्थात अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को ‘गुरु’ कहा जाता है। गुरु तथा देवता में समानता के लिए एक श्लोक में कहा गया है कि जैसी भक्ति की आवश्यकता देवता के लिए है वैसी ही गुरु के लिए भी। शिक्षिका बनमाला खोबरे ने कहा कि
व्यास जयन्ती ही गुरुपूर्णिमा है। गुरु को गोविंद से भी ऊंचा कहा गया है। सद्गुरू की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार भी संभव है। गुरु की कृपा के अभाव में कुछ भी संभव नहीं है। ‘व्यास’ का शाब्दिक संपादक, वेदों का व्यास यानी विभाजन भी संपादन की श्रेणी में आता है। कथावाचक शब्द भी व्यास का पर्याय है। कथावाचन भी देश-काल-परिस्थिति के अनुरूप पौराणिक कथाओं का विश्लेषण भी संपादन है। भगवान वेदव्यास ने वेदों का संकलन किया। इस अवसर पर बलीराम मालवीय, अनीसा सिद्दिकी, आरती वर्मा, पूजा राणे,श्यामा पवांर, श्रीमति झा आदि उपस्थित थे।