मेरा शांति पूर्वक धरने की खामोशी आगामी तुफान का संकेत : घोरसे
71 वर्षीय घोरसे ने पूरा किया धरने का शतक
बैतूल। अपने धरने के 100 दिन पूर्ण कर चुके 71 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक बीआर घोरसे ने एक शिकायत पत्र के माध्यम से कलेक्टर बैतूल ज्ञानेश्वर बी पाटिल से अपनी मांगों के निराकरण की मांग की है। श्री घोरसे ने अपने पत्र में लिखा है कि सोचा नहीं था कि स्वतंत्र देश में शासन द्वारा सवैधानिक, न्यायिक मानवीय मूल्यों का इस कदर अवमूल्यन कर शिक्षा विभाग में मुझे अदने से शिक्षक को ईमानदारी, लगन, कर्तव्यनिष्ठा का इतना दुखद सिला मिलेगा की मर-मर कर जीना पड़े। श्री घोरसे ने अपने शिकायत पत्र में लिखा है कि अधिकांश आरोपी बैतूल नगर के मूल निवासी हैं, उंची पहुंच वाले हैं, जिनकी नेताओं और उच्चाधिकारियों को भ्रष्टाचार का पाठ पढ़ाने में अहम भूमिका प्रतीत होती है। सत्ता के साथ ही इनकी निष्ठा भी बदल जाती है। पुन:पुन: न्याय की गुहार के लिए कलेक्ट्रड के सामने बिना सुरक्षा एवं सुविधाओं के साथ असाध्य मधुमेह से ग्रस्त होने पर भी शांति पूर्वक धरने पर बैठा हूं। धरने का 100 दिन पूर्ण हो चुके हैं मेरा शांति पूर्वक धरने की खामोशी आगामी तुफान का संकेत भी है, जो न्यायिक व एसटीएफ की जांच से स्पष्ट हो जाएगा। पत्र में मांग की है कि एतिहासिक निर्णय ले मुझ अदने से दीन-हीन शिक्षक को अविलम्ब न्याय दिया जाए। शिकायत पत्र सौंपने के पश्चात श्री घोरसे ने शासन की सद्बुद्धि के लिए विष्णु लक्ष्मीनारायण यज्ञ किया। इस अवसर पर सोहनलाल राठौर, तुलसी साहू, भगवंत राव आदि उपस्थित थे। धरना स्थल पर श्री घोरसे ने एक प्रतीकात्मक तराजू बनाया था जिसमें उच्च न्यायालय के आठ आदेशों को वजन में कमतर दिखाया था।